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UGC New Rule Graduation Not fix time

यूजीसी के नए नियमों के अनुसार बी.ए के लिए कोई टाइम फिक्स नहीं, कितने समय में ही कर सकते है

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UGC New Rule Graduation Not fix time यूजीसी के नए नियमों के अनुसार बी.ए के लिए कोई टाइम फिक्स नहीं, कितने समय में ही कर सकते है।

UGC New Rule Graduation Not fix time

यूजीसी ने ग्रेजुएशन करने वाले अभ्यर्थियों के लिए नया नियम पारित करते हुए छूट दी है कि आप कितने ही समय में ग्रेजुएशन कर सकते हो।

यूजीसी के अनुसार आप तीन या चार साल से ज्यादा समय में भी ग्रेजुएशन कर सकते हो।

नई शिक्षा नीति के अनुसार अब ग्रेजुएशन में पढ़ने वाले विद्यार्थी को अपनी मर्जी के अनुसार समय चुनना होगा कि में इतने सालों में ग्रेजुएशन करूंगा।

ग्रेजुएट कोर्स के लिए दो मोड स्टार्ट किए हैं –

1.एडीपी इस के तहत छात्र दूसरे या तीसरे सेमेस्टर से अतिरिक्त क्रेडिट लेना शुरू कर देते है।

2. ईडीपी में शामिल होने वाले छात्र हर सेमेस्टर में कम क्रेडिट ले सकते है।

क्योंकि हर विद्यार्थी की बौद्धिक समता अलग अलग होती है कोई तीन साल तक पूरा करते हुए पास हो जाते है तो कोई चार साल तक पास होते है।

इसे समझते हुए यूजीसी ने ग्रेजुएशन की डिग्री करने की व्यवस्था में बदलाव महसूस किया है। ओर इस व्यवस्था में प्राइवेट किया है।

समय का घटना बढ़ना

इसके तहत अब स्टूडेंट्स समय को घटा और बढ़ा सकते है।

इस व्यवस्था के तहत स्टूडेंट्स को समय की आजादी दी गई है।

एडीपी क्या है

एडीपी एक्सीलेटर डिग्री प्रोग्राम के तहत कम समय मापक कोर्स है।

समय को अभ्यर्थी कम करवा सकता है। डिग्री जल्दी पूरी हो सकती है।

ईडीपी क्या है

एक्सटेंडेड डिग्री प्रोग्राम के तहत अभ्यर्थी  अतिरिक्त समय मांग सकते है। क्योंकि उससे निर्धारित समय में डिग्री पूरी नहीं होगी।

दोनों कोर्स मान्य

UGC ने इन दोनों डिग्री कोर्स की बराबर मान्यता दी है।

विभिन्न विभागों की सभी भर्तियों में एडीपी और ईडीपी दोनों कोर्स मान्य होंगे।

यूजीसी अध्यक्ष के अनुसार

यूजीसी के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने इस व्यवस्था को मंजूरी देते हुए बताया कि यूजीसी ने छात्रों को ग्रेजुएशन की पढ़ाई में लचीलापन देते हुए यह व्यवस्था की है। जिससे धीमी गति से सीखने वाले छात्र हताश नहीं हो।

शिक्षाविदों के अनुसार

भारतीय शिक्षाविदों के अनुसार इससे भारत की डिग्री भी वर्ल्ड क्लास मापदंडों की तरह बनने की दिशा में आगे बढ़ेगी।

सयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपियन देशों में पहले से ही ऐसी व्यवस्था है जिससे उनकी डिग्रियां वर्ल्ड क्लास मानी गई है।

चुनौतियां भी होगी

इस कोर्स के लागू होने में यूजीसी को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा इसके लिए क्रेडिट सिस्टम विद्यार्थी और शिक्षक के आधार पर बना हुआ है।

मुख्य चुनौती प्रैक्टिकल विषय में होगी

प्रैक्टिकल विषय एक साथ करने की व्यवस्था करनी होगी।

क्योंकि शिक्षण संस्थानों में अभी वर्तमान कोर्स के अनुसार ही शिक्षण व्यवस्था बनी हुई है।

इन व्यवस्था को बदलने के लिए कई बदलाव और नए संसाधन जुटाने होंगे।

क्या होगा फायदा

बच्चो पर पढ़ाई का तनाव कम होगा।

डिग्री को पूरा करने के लिए समय की पाबंदी हटी।

पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम जॉब व इंटर्नशिप भी हो जाएगी।

व्यक्तिगत कार्यों में भी फुर्ती आएगी।

जल्दी डिग्री पूरी करने वाले आगे जल्दी बढ़ पाएंगे।

विश्व स्तर पर भारत की डिग्री का मानक बढ़ेगा।

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