Importance Of Akashya Trtiya आखातीज का क्या महत्व ओर क्यों मनाई जाती है
Importance Of Akashya Trtiya आखातीज का क्या महत्व ओर क्यों मनाई जाती है
भारतीय दर्शन शास्त्र के अनुसार वैशाख शुक्ला तृतीय के दिन आखातीज यानि अक्षय तृतीया मनाई जाती है . आखातीज को अबूझ सावे के नाम से भी जानी जाती है. क्योंकि इस दिन हिंदू धर्म एवं जैन धर्म में सबसे ज्यादा बाल विवाह होते थे अब तो इस प्रकार के बाल विवाह सूझ बूझ के साथ बंद हो गए है।
विवाह का हिंदू एवं जैन धर्म के अनुसार सबसे अच्छा और बहुत बड़ा मुहूर्त होता है इस दिन लोग अपने घर बनवाने या कोई भी व्यापार प्रतिष्ठान खोलने के लिए मुहूर्त और भूमि पूजन करते है ।
Importance Of Akashya Trtiya आखातीज
वैसे तो अक्षय तृतीया अमावस्या से ही शुरू हो जाता है अमावस्या के दिन पुराने जमाने से किसी पंच आदमी के घर गांव ढाणी के लोग इक्कठा होकर बैठक करते है और वहां पर भोज का आयोजन करते है ।
अमावस्या के दूसरे दिन वैशाख शुक्ला एकम को पड़ता दिन या इकाई का दिन माना जाता है इस दिन किसी के घर कोई बैठक नहीं होती है . फिर वैशाख शुक्ला द्वितीया को दूसरे किसी पंच के घर बैठक और भोज का आयोजन होता है.
ठीक मूल अक्षय तृतीया,वैशाख शुक्ला तृतीया के दिन होती है इस दिन लोग मारवाड़ में देशी भोजन सुबह के समय बाजरे को कूट कर धान को बनाया जाता है धन को किसी बर्तन में फुल आंच में गुड़ के साथ गर्म करके पकाते है धान बनने के बाद लोग मीडियम ठंडा होने पर थाली में धान में देशी गाय का घी, गुड़ डालकर बड़े चाव के साथ खाते है यह राजस्थान का बहुत ही स्वादिष्ट भोजन माना जाता है।
Importance Of Akashya Trtiya
तीनों दिन जिन लोगो के यहां इकट्ठे होने वाले सभी भाईलोग मिलकर आगे आने वाली वर्षा ऋतु का पता लगाने के लिए मिट्टी के छोटे छोटे कुलड़ बनाकर उन कुलड़ो का नाम वर्षा ऋतु के महीने ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण,भाद्रपद, आसाेज नाम देते है इनमें पानी भर देते है .इन सभी कुलड़ो में पानी भर देते है और पानी भरने के बाद सभी लोग इक्कठे होकर बैठ जाते है और देखते है कि इन सभी महीनों में जिस क्रम में कुल्ड फुट जाते है उसी क्रम से बरसात होती है जो महीने का कुल्ड पहले फूटेगा उस महीने में पहली बरसात होगी।
इससे राजस्थान में बरसात के सुगन माने जाते है और यह एक परंपरा है वास्तव में यह परम्परा बिल्कुल सही साबित होती है और किसानों को इससे फायदा भी होता है कि वो समय पर अपनी खेती के लिए तैयार रहते है ।जो कुलड़ नहीं फूटता है उस महीने में बारिश नहीं होती है यह एक मान्यता है कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है।
वैशाख शुक्ला तृतीया के दिन अमावस्या, द्वितीया, तृतीया के दिन एक ओर परम्परा है जो आज लगभग मिट चुकी है अक्षय तृतीया के तीनों दिन लोग सभी इक्कठा होकर मल्ल युद्ध यानि एक भारी भरकम कोई पत्थर जो उठाता है वह मल्ल युद्ध जीतता है,दूसरा खेल जो बहुत शानदार था उसका नाम दड़ी पटिया यानि एक व्यक्ति पत्थर चिनकर भाग जाता है दूसरा व्यक्ति उस चुने हुए पत्थर को दड़ी से गिरता है जो गिराता है वह सब लोगो के पीछे दडी फेंकता है सभी अपना बचाव करते है जिसको पहले लगता है वह दांव हार जाता है यह खेल बहुत प्रसिद्द होता था जो आज विलुप्ति के कगार पर है।
Importance Of Akashya Trtiya
एक ओर खेल जो आज गांवों की गलियों से बहुत दूर चला गया है जिसका प्यारा नाम कब्बडी है कब्बडी खेल पहले अक्षय तृतीया के दिन लोग खूब खेला करते थे जो आज की काम काजी लोगो के जीवन से हट कर केवल व्यावसायिक खेल प्रो कबड्डी ओर अंतरराष्ट्रीय खेल हो गया है।
इस दिन एक खेल कुश्ती जो आज बिल्कुल खत्म हो गया है पहले गांवों में बिना किसी संसाधन वाला खेल जिसमें केवल मानव संसाधन की जरूरत होती थी आसानी से खेल लेते थे अब लोगों में वो ताकत भी नहीं रही की कुश्ती खेल सके क्योंकि अब लोगों में कबड्डी खेलने के लिए पहले की तरह न तो शक्तिशाली शरीर रहा है और ना ही सहनशीलता पहले किसी व्यक्ति को अगर दुर्भाग्यवश कुछ चोट भी लग जाती तो लोग भाई चारे के साथ उस बात को वही रोक देते थे वहीं बात अगर आज के जमाने में हो जाए तो वह बात लड़ाई ओर गुंडा गर्दी तक चली जाती है।
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