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Who Was Guru Nanak Dev ji

गुरु नानक देव जी ,सिख धर्म के संस्थापक, जानेंगे आज उनका परिचय

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Who Was Guru Nanak Dev ji

जन्म : 15 अप्रैल ,1469

जन्म स्थान :राय भोई तलवंडी,पाकिस्तान

मृत्यु: करतारपुर पंजाब पाकिस्तान

मृत्यु का वर्ष :1539

गुरु नानक देवजी भारत के आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्हें सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम धर्म गुरु के रूप में दर्जा दिया जाता है।

Who Was Guru Nanak Dev ji

एक ही ईश्वर है वही धर्म है, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों प्रभाव वाला धर्म ये इनकी शिक्षा थी

उनकी शिक्षा, भक्ति भजन के माध्यम से व्यक्त की जाती है।

जिन्हें आमतौर  पर शबद के रूप में व्यक्त की जाती है,जिनमें से कई अभी भी जीवित है जिनमें ध्यान और दिव्य नाम के जाप के माध्यम से पुनर्जन्म से मुक्ति पर जोर देते है। उन्हें मूल मंत्र के निर्माण का श्रेय दिया जाता है, जो सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण घटक है,यह आदि ग्रन्थ का प्रारंभिक पाठ है,जिसे श्री गुरु  ग्रंथ साहिब के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें सभी 10 सिख धर्म गुरुओं की  रचना ओर बानी शामिल है।

गुरु नानक देवजी का जीवन life of Guru Nanak devji

गुरु नानक देवजी के बारे जानकारी हमें किंवदंतियों, उप आख्यानों, और उनकी समस्त परम्पराओं में मिलती है।

गुरु जी इन आख्यानों को सखियां या साक्ष्य कहते है। इन्हीं आख्यानों को हम जब मोटे तौर पर संकलन करते है वह साखियां है।

जन्मसाखियों के कथावाचकों वह संकलन कर्ताओं की रुचि मुख्यत गुरु नानक देवजी  और उनकी यात्राओं पर केंद्रित रही है।

उनका जन्म और शुरुआती जीवन

नानक देवजी का जन्म ऊपर दिए अनुसार तलवंडी,पाकिस्तान में हुआ था जब सयुक्त भारत ,अखंड  भारत था।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु जी का जन्म हुआ था यह विवादित भी माना जाता है ,भाई  बाला साहिब की साखी से भ्रम पैदा हुआ है, जो बाद की तारीख का दावा करती है।।

नानक जी की जाति खत्री थी, जाति से वे बहुत ऊंचे थे,परंतु ऊंच नीच का भाव उनमें नहीं था।

खत्री जाति का अपेक्षाकृत उच्च सामाजिक पद नानक को उस समय के अन्य भारतीय धार्मिक सुधारकों से अलग करता है।

नानक जी का रहस्यात्मक अनुभव

नानक जी की जन्म साखी में दर्ज है कि नानक का शुरुआती जीवन परिवार के मवेशियों को चरने और सूफियों ,साधुओं के साथ बातचीत करने में ही बीता था। वे हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म गुरुओं की शिक्षाओं को ग्रहण करते थे।

अपने जीवन के 20 वे दशक में वे सुल्तानपुर  रहने के लिए गए थे, वह उन्होंने कई वर्षों तक एक अन्न भंडार में काम किया, जब तक कि उनके धार्मिक व्यवसाय ने उन्हें परिवार और रोजगार दोनों से दूर नहीं कर दिया।

एक उक्ति है कि जब गुरु नानक देवजी  लगभग 30 वर्ष की अवस्था में थे ,तब उन्हें एक रहस्योद्घाटन का अनुभव पैदा हुआ।

जन्म साखी के एक पाठ के अनुसार , वह एक नदी में स्नान करने गए और गायब हो गए , यह माना जाता है कि वे डूब गए थे।

देवी आख्यानों से पता चलता है कि उनके लापता होने के दौरान नानक ने सर्वोच्च प्राणी के साथ संवाद किया था।

जिसने उन्हें अमरता का अमृत दिया जिससे उन्हें दिव्य नाम का ज्ञान प्राप्त हुआ। ऐसा माना जाता है कि रहस्यमय अनुभव ने उन्हें पारलौकिक वास्तविकता का एक बोध ज्ञान करवा दिया था ।

जब तीन दिन बाद नदी से बाहर निकले  तो वे मौन धारण में रहे और अंत में घोषणा की, की कोई हिन्दू नहीं है कोई मुस्लिम भी नहीं है नानक ने संदेश दिया ओर हिन्दू ओर मुस्लिम का द्वंद भी नकार दिया।

एकेश्वरवादी बने उन्होंने कहा कि ईश्वर एक है कोई दूसरा नहीं है बस उनकी पूजा अलग अलग तरीकों से होती है।

उन्होंने घोषणा की कि वह ईश्वर के बताए मार्ग पर चलेंगे और भारतीय धार्मिक भिक्षुओं की परम्परा का अनुसरण करेंगे,उन्होंने एक लंबी यात्रा शुरू की ।

संभवतः उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के मुस्लिम और हिंदू धार्मिक केंद्रों की लंबी यात्रा की , और वो विदेशों तक भी गए थे।

ना ही कोई वास्तव मार्ग  ओर न ही  कोई वे स्थान जहां वो गए थे। सकारात्मक रूप से पहचाने  जा सकते है।

गुरु नानक देवजी के चार भजन में मिलने वाली शिक्षा

नानक जी के अनुसार नानक बाबर एक मुगल शासक द्वारा सैदपुर और लाहौर पर किए गए हमलों के समय मौजूद थे ,इसीलिए यह निष्कर्ष निकलता है कि 1520 ईस्वी तक वह अपनी यात्रा से लौट आए थे।

बाबर गुरु नानकदेव से बहुत प्रभावित था। उनकी शिक्षा ग्रहण भी करता था।

शेष जीवन

जीवन के अंतिम क्षण मध्य पंजाब का एक गांव करतारपुर वर्तमान पाकिस्तान में है।

उनकी परम्परा के अनुसार यह गांव वास्तव में नानक देव के सम्मान  में एक धनी प्रशंसक द्वारा गुरु जी के नाम पर बसाया गया था।

इसी अंतिम अवधि के दौरान नए सिख समुदाय की नींव रखी थी इस समय तक लोगों ने मान लिया भी था।

गुरु नानक को गुरु धार्मिक सत्य का जनक ,भारत की परम्परा के अनुसार लोगो को शिक्षा भी दी।जिन शिष्यों ने उन्हें अपना गुरु स्वीकार किया था। वे करतारपुर में उनके आसपास एकत्र हुए ।

कुछ लोग शायद गांव के स्थाई नागरिक बन गए और कुछ लोग उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए  समय समय पर जाते रहते थे।

उन सभी के सामूहिक गान के लिए बनाए गए कई भक्ति भजनों में मौजूद शिक्षा को सुना, जिसमें से आज भी कई अच्छी शिक्षा मौजूद है जिससे प्रेरणा मिलती रहती है।

मृत्यु का वर्ष

गुरु नानकदेवजी की मृत्यु का वास्तविक दिन किसी को भी ज्ञात नहीं है फिर भी आख्यानों के अनुसार  1538 या 1539 लोग दोनों के बीच की तिथि बताते है।

उनके एक परम शिष्य अंगद। को नानक जी नेआपना आध्यात्मिक उतराधिकारी चुना था।

अंगद ने एक नया सिख युवा समुदाय को भी प्रचलन में लाया था।

गुरु नानक के शबद

1. आओ सजना हो देखा, मतलब आओ मेरे दोस्त ताकि तुझे देख सकू

2. एह मनो मूर्ख लोभियों मतलब यह दिल मूर्ख और दोष है मुझमें कोई गुण नहीं है

3. सभ अवगुण मैं गुण नहीं कोई मतलब मुझमें केवल दोष है मुझमें कोई गुण नहीं

4. खाना पीना हंसना सोना मतलब खाना, पीना, मुस्कुराना, सोना

5. रंग रता मेरा साहिबा मतलब मेरा भगवान  प्रेम से भरा है।

सिख धर्म की शिक्षा में पांच प्रकार की चीजों को हमेशा साथ रखते है। जिसमें केश,कृपाण,कड़ा,कांगा, कच्चा

सिख हिंदुस्तान के पंजाब राज्य में सबसे ज्यादा मात्रा में है।

सिख धर्म का सबसे बड़ी पवित्र स्थान हिंदुस्तान ने अमृतसर पंजाब और पाकिस्तान में करतारपुर साहिब है।

भारत विभाजन के बाद करतारपुर कॉरिडोर बंद था जो 3 वर्ष पहले इमरान खान की सरकार में करतारपुर में नानकजी के गुरुद्वारा का निर्माण करवाया गया। ओर कॉरिडोर खोल कर विश्व के समस्त देशों में से सिख समुदाय ने वहां जाकर मन्नत मांगी।

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